
विशेष प्रतिनिधि द्वारा
रांची : झारखंड के सारंडा इलाके में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंच गई है. सुरक्षा बल नक्सलियों की घेराबंदी को ध्वस्त कर सारंडा के मंकी रिजर्व फॉरेस्ट तक पहुंच चुके हैं. सारंडा की निर्णायक लड़ाई जीतने के लिए सैप बटालियन के साथ झारखंड पुलिस के कई अफसरों को अभियान में लगाया गया है।
स्पेशल अफसर पहुंचे सारंडा : झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंच गई है. नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व सारंडा में डेरा डाले हुए है, जिसके खात्मे के लिए अब वैसे अफसरों को लड़ाई में उतार दिया गया है जो नक्सल अभियान में माहिर हैं. निर्णायक अभियान में सैप बटालियन के साथ झारखंड पुलिस के कई डीएसपी को भी लगाया गया है, जबकि झारखंड जगुआर और केंद्रीय बल पहले से ही सारंडा में मौजूद हैं। अब सारंडा में सौ सुनार पर एक लोहार वाली स्थिति हो गई है. नक्सलियों पर अंतिम प्रहार के लिए झारखंड पुलिस पूरी तरह तैयार है. डीजीपी ने कहा कि सारंडा में नक्सल अभियान में माहिर अफसरों को लगाया गया है. हमने सारंडा में ट्रेंड बलों की संख्या में बढ़ोतरी की है. जिसमें झारखंड जगुआर के अफसर, नए बहाल हुए डीएसपी के साथ ही आर्मी के वैसे अफसर भी हैं जो कॉन्ट्रैक्ट के जरिए उनके साथ जुड़े हैं, सभी को ऑपरेशन में लगाया गया है. अब तक तो केंद्रीय बलों के अधिकारी ऑपरेशन में शामिल हुए थे ही लेकिन अब झारखंड पुलिस के अफसरों द्वारा भी ऑपरेशन पर क्लोज मॉनिटरिंग की जाएगी।
सुरक्षा बल मंकी रिजर्व फॉरेस्ट तक पहुंचे : सारंडा की लड़ाई को इसलिए भी निर्णायक कहा जा रहा है क्योंकि सुरक्षा बल मंकी रिजर्व फॉरेस्ट तक पहुंचने में कामयाब हो गए हैं. आपको बता दें कि मंकी रिजर्व फॉरेस्ट में सैकड़ों की तादाद में बंदरों का बसेरा है. इस इलाके में नक्सलियों ने एक तरह से अपना मुख्यालय बना रखा था. खुद को सुरक्षित रखने के लिए नक्सलियों ने मंकी रिजर्व फॉरेस्ट के दक्षिणी क्षेत्र तक दर्जनों बंकर बना रखे थे जिन्हें सुरक्षा बलों ने नष्ट कर दिया है. झारखंड के डीजीपी ने बताया कि मंकी रिजर्व फॉरेस्ट के आसपास नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना के आधार पर कार्रवाई की जा रही है.
तमाम मददगारों के यहां छापेमारी : एक ओर झारखंड पुलिस और केंद्रीय बल के अधिकारी और जवान नक्सलियों के अड्डे तक पहुंचने में कामयाब हो गए हैं, वहीं दूसरी ओर नक्सलियों के मददगारों के खिलाफ भी छापेमारी शुरू कर दी गई है. झारखंड के डीजीपी ने बताया कि उन तमाम नक्सलियों के सपोर्टर के घर छापेमारी की जा रही है, जो उन्हें अनाज और दूसरे सामान मुहैया करा रहे हैं. छापेमारी के दौरान अनाज से लेकर लोहे की छड़ तक बरामद की गई. जो छड़ें बरामद की गई हैं, उनका इस्तेमाल नक्सली अपने बमों और जवानों को ट्रैक करने के लिए बनाए गए बूबी ट्रैप में करते हैं.
इंटेलिजेंस बेस्ड अभियान : चाईबासा के जराइकेला, रेंगरा, टोंटो, सोनुवा, जेटेया, गुदरी और टुम्बाहाता ऐसे इलाके हैं, जहां जंगलों में कदम-कदम पर नक्सलियों ने जमीन के नीचे मौत का साजो-सामान बिछा रखा है, जो आखिर में मंकी रिजर्व फॉरेस्ट तक पहुंचता है. मंकी रिजर्व फॉरेस्ट बाबूदेड़ा के दक्षिण तक फैला हुआ है. इन इलाकों में अधिकांश जगहों से नक्सलियों को खदेड़ दिया गया है, अब यहां इंटेलिजेंस बेस्ड अभियान शुरू किया गया है. मंकी रिजर्व फॉरेस्ट में एक सप्ताह पहले तक नक्सलियों का जमावड़ा था. लेकिन अब वे वहां से भी फरार हो चुके हैं.
60 से अधिक नक्सलियों की संख्या, अधिकांश इनामी : दरअसल, कोल्हान में शीर्ष नक्सली नेताओं ने पनाह ले रखा है. बूढ़ा पहाड़ के बाद कोल्हान ही एकमात्र ऐसा स्थान है, जिसे नक्सलियों ने अपना मुख्यालय के रूप में स्थापित किया था। मुख्यालय होने के कारण यहां एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली नेताओं का भी बसेरा है. जानकारी के अनुसार, सारंडा में एक करोड़ रुपये का इनामी मिसिर बेसरा, अनमोल दा, टेक विश्वनाथ उर्फ संतोष, मोछू, चमन, कंडे, अजय महतो, सागेन अंगारिया और अश्विन जैसे खतरनाक नक्सली कमांडर मौजूद हैं. इनके पास 60 से अधिक लड़ाके हैं, जो गुरिल्ला वॉर में माहिर हैं.